ये दोस्त……और इनकी दोस्ती……!
वो जो बचपन की अटखेलियों में दिन रात होते हैं
जवानी के जोशो उमंग में जिनके जज़्बात होते हैं ,
हर मुश्किल में काँधों पे जिनके हाँथ होते हैं ,
कोई और नहीं बस वो दोस्त हैं हमारे
जीवन की हर राह पर जो साथ होते हैं .
मानव एक सामाजिक प्राणी है और सामाजिक होने का अर्थ है किसी समाज का हिस्सा होना. हर व्यक्ति की एक अलग society होती है जो उसके अपने relationship पर depend करती है .इसलिए मानव के लिए संबंधों का बहुत अधिक महत्व है जिसके सहारे वो अपना सारा जीवन व्यतीत करता है. . मानव दो तरह के संबंधों से जुड़ा है पहले वो जो जन्म से ही उसके साथ होते हैं औरदूसरे वो जिसे वो अपनी ख़ुशी या पसंद से बनाता है.
आप के माता -पिता या रिश्तेदार कौन होंगे ,आपके स्कूल के principal कौन होंगे, boss कौन होंगे , colleagues कौन होंगे या पड़ोसी कौन होंगे ये आप decide नहीं कर सकते.हाँ !एक ऐसा सम्बन्ध ज़रूर है जिसे आप अपनी इच्छा से चुनते और जोड़ते हैं और वो है ’दोस्ती’. दोस्तहम कई लोगों में से कुछ लोगों को ही बनाते हैं .
कुछ लोग शायद ये नहीं जानते कि भले ही friendship एक secondary relationship है पर फिर भी वो life की सबसे important relationship है .इस relation का अगर थोड़ा सा भी हिस्सा किसी और relation में मिला दिया जाये तो उस रिश्ते का रूप ही बदल जाता है .”My mom is my best friend“, “My life partner is my best friend” ये कहते हुए भी अच्छा लगता है और सुनते हुए भी .किसी बच्चे को अपने माता -पिता ,किसी student को अपना teacher, किसी employee को अपना boss या किसी व्यक्ति को अपना life-partner तभी अच्छा लगता है जब उनमें एक अच्छा दोस्त दिखाई देता है.तो बिना किसी संदेह के दोस्ती एक ऐसा relation है जिसे हम जाने-अनजाने बाकी सभी relations में खोजने कि कोशिश करते हैं.
दोस्त अक्सर समानता , समीपता ,frequent interaction या common goals के कारण बन जाते हैं . जिन लोगों को हम अपने समान या अपने आस -पास आसानी से उपलब्ध पाते हैं उनसे हम दोस्ती कर लेते हैं . ये relation किसी जाति को , धर्म को या किसी उम्र को नहीं मानता .यही अकेला एक ऐसा रिश्ता है जो human relation को show करता है क्योंकि बाकी सभी संबंधों को हम इसलिए निभाते हैं क्यों कि वो हमारे साथ पहले से ही जुड़े हुए हैं या हमारे पास उन्हें निभाने के आलावा कोई option नहीं होता.
किसी relation को अगर आप कोई नाम नहीं दे सकें तो उसे दोस्ती का नाम आसानी से दिए जा सकता है. ये give and take के rule को follow नहीं करता , हाँ अगरऐसी किसी relation में ऐसा कोई rule है तो आपको दोस्ती का सिर्फ एक भ्रम है .
आज के competitive world में अक्सर लोगों को अपने परिवार से दूर जाना पड़ता है पर आपने कभी ध्यान से सोचा है कि उस अकेलेपन के लम्बे समय को रोमांचक बनाकर आसानी सेकाटने में आपकी मदद कौन करता है ; कोई और नहीं बस आपके दोस्त . इसमें किसी formality या किसी discipline कि मांग नहीं होती .अपने दोस्तों से अपने दिल कि बात कहने के लिए आपको किसी खास समय का इंतज़ार नहीं करना पड़ता .आप ये नहीं सोचते कि आपके दोस्त क्या सोचेंगे . और अगर क्षण भर के लिए ये विचार आपके मन में आता भी है तो आप कहते है ’तो क्या हुआ दोस्त ही तो है ज़रूर समझ जायेगा!!! ‘.
कहते हैं दुनियां में मंहगी से महंगी जगह घर बनाना फिर भी आसान है पर किसी के दिल मेंसच्ची जगह बनाना बहुत ही मुश्किल है . इसलिए सच्चा दोस्त मिलना उतना आसन भी नहीं होता . अगर सोचें तो दोस्त हमारे सबसे अच्छे teachers होते हैं क्योंकि वो हमें अपने आप सेइमानदार होना सिखाते हैं हमें उनके सामने कोई ideal role play करने कि ज़रुरत नहीं होती है . जिन लोगों के जीवन में दोस्तों कि कमी होती है वो depression के शिकार भी जल्दी होते हैं . एक अच्छा दोस्त आपकी व्यक्तित्व को भी निखारता है .
ये relation जितना पुराना होता है उतना ही गहरा होता जाता है.लेकिन कई बार हम सच्चे दोस्त और सिर्फ दोस्त में अंतर नहीं कर पाते .अगर आप हजारों से मिलते हैं तो वो सारे आपके अच्छे दोस्त या शुभचिंतक नहीं हो सकते .अच्छे दोस्त आपको कभी misguide नहीं करते और मदद के लिए हमेशा तैयार रहते हैं . हाँ अगर आप ग़लत हैं तो आप काविरोध भी करते हैं लेकिन जीवन के किसी भी मोड़ पर आप पलट के देखें तो वो हमेशा आप के लिए खड़े होंगे .
सोचिये कि उस व्यक्ति का जीवन भी क्या जीवन है जिसके कई रिश्तेदार तो हैं पर कोई दोस्त नहीं है .आप अपनी हर छोटी – बड़ी बात उस व्यक्ति से share करते हैं जिसे आप अपना सबसे अच्छा दोस्त समझते हैं फिर चाहे वो आपके parents हों , आप का life-partner हो या कोई अन्य . दोस्ती का कोई भी रूप हो सकता है .
एक बात ज़रूर याद रखिये कि इस प्यारे से unconditional रिश्ते को भी attention कि उतनी ही ज़रुरत होती है जितनी कि किसी और रिश्ते को. इसे लम्बे समय तक चलाने के लिए empathy और प्यार कि भावना से सींचना पड़ता है . तो अगर किसी भी रिश्ते में मिठास लानी हैतो उसमें दोस्ती कि थोड़ी से चाश्नी तो डालनी ही पड़ेगी !
मशहूर शायर नासिर जी ने क्या खूब कहा है
“आज मुश्किल था संभलना ए दोस्त,
तू मुसीबत में अजब याद आया ,
वो तेरी याद थी ; अब याद आया”
Dedicated to all my dear friends.
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