Saturday, 12 November 2011

"Lalchi Kutta" The Greedy Dog

"Lalchi Kutta"
The Greedy Dog

Laachi Kutta - The Greedy Dog, Hindi Story

स्वयं से प्रेम करें …………

Love Yourself

स्वयं से प्रेम करें …………

success is not the key to happiness but happiness is the key to success
प्रसन्न रहना ही सफल जीवन का राज़ है. ईश्वर ने मनुष्य को बहुत सारी खूबियाँ और अच्छाइयां दी हैं. मनुष्य वो प्राणी है जिसके अन्दर सोचने की और समझने की अपार क्षमता है. जो जीवन को बस यूँ ही जीना या व्यर्थ करना नहीं चाहता. हर व्यक्ति के अन्दर एक बहुत ही प्रबल इच्छा होती है सफल होने की, कुछ कर दिखाने की और अपनी एक पहचान पाने की. कुछ लोग अपनी इस इच्छा को दिन पर दिन बढ़ाते हैं और कुछ लोग समाज या परिश्रम के डर से इसे दबा देते हैं. पर अपने आप से पूछ कर देखिये कि कौन ऐसा जीवन जीना नहीं चाहता जिसमे लोग आप से प्रेम करें और आप को पहचाने. सफलता के कई सारे कारण होते हैं जैसे   द्रिढ़ निश्चय, मेहनत करना, सपने देखना और उन्हें पूर्ण करने की दिशा में कार्य करना, सच्चाई, इमानदारी,जोखिम उठाने की क्षमता इत्यादि.
पर सफलता का एक ऐसा कारक भी है जिसे हम अक्सर नज़रंदाज़ कर देते हैं और वो है स्वयं से प्रेम करना. अपने आप से प्रेम करना और अपना आदर करना सफल व्यक्तियों का एक बहुत ही प्रबल गुण होता है.
कभी आराम से बैठ कर सोचिये कि किस से सबसे अधिक प्रेम करते हैं आप? whom do you love most? ये बात अगर आप किसी से पूछें तो आम तौर पर जवाब आयेगा my parents, my children, my spouse etc etc जितने लोग उतने जवाब. अगर आप गहराई से सोचें तो इस प्रश्न का आप को एक ऐसा उत्तर मिलेगा जिसे आप मुश्किल से ही accept कर पाएंगे. और वो जवाब है ‘अपने आप से’. जी हाँ! इस दुनिया में सबसे अधिक प्रेम आप स्वयं से ही करते हैं. अगर देखा जाये तो हर छोटे से छोटा औए बड़े से बड़ा काम हम अपनी ख़ुशी के लिए ही तो करते है? चाहे वो विवाह के बंधन में बंधना हो, कोई नौकरी करना हो, माँ बनना हो, किसी की मदद करना हो, किसी को दुखी करना हो कुछ भी. हाँ! अंतर सिर्फ ख़ुशी पाने के स्रोत में होता है कुछ को दूसरों को ख़ुशी दे कर सुख मिलता है और कुछ को दूसरों के कष्ट से. महात्मा गाँधी, मदर टेरेसा और दुनिया के कई समाज सुधारक क्या इन्होनें अपनी ख़ुशी के बारे में नहीं सोचा? निःसंदेह सोचा, ये वे लोग थे जिन्हें दूसरों को प्रसन्न देख कर ख़ुशी मिलती थी. कुछ लोग स्वयं से प्रेम करने को अनुचित समझते हैं क्यों कि लोगों के मन में अक्सर ये धारणा रहती है कि जो व्यक्ति स्वयं से प्रेम करता है वो selfish होता है और दूसरों से प्रेम कर ही नहीं सकता. तो इसका उत्तर ये है कि अपने आप से प्रेम करना कभी ग़लत हो ही नहीं सकता क्यों कि जो व्यक्ति अपने आप से प्रेम नहीं करता वो किसी और से सच्चा प्रेम कर ही नहीं सकता. जो अपने आप से संतुष्ट नहीं वो किसी और को संतुष्ट कैसे रख सकता है?
‘unless you fill yourself up first you will have nothing to give to anybody’
अपने आप से प्रेम करने का अर्थ है स्वयं को निखारना, अपने अन्दर की अच्छाइयों को खोजना, अपने लिए सम्मान प्राप्त करना, अपना self statement positive रखना, अपने आप को प्रेरित करते रहना और अपने साथ हुई हर अच्छी बुरी घटना की जिम्मेदारी खुद पे लेना. ये हमेशा याद रखिये कि आप दूसरों को प्रेम और सम्मान तभी बाँट पाएंगे जब आप के पास वो वस्तु प्रचुर मात्र में होगी.स्वयं से प्रेम करना उतना ही स्वाभाविक है जिंतना कि सांस लेना. Bible में कहा भी गया है कि हमें दूसरों से भी उतना ही प्रेम करना चाहिए जितना हम स्वयं से करते हैं. परन्तु कभी – कभी हम अपने आप से प्रेम करना भूल जाते हैं. मशहूर psychologist Sigmund Freud ने मनुष्य के अन्दर दो प्रकार की instinct का ज़िक्र किया है एक constructive और एक distructive. कुछ लोग अपनी भावनाओं का प्रदर्शन constructive तरीके से करते हैं, उन लोगों को अच्छे कार्य करके प्रसन्नता मिलती है और कुछ लोगों को विनाश कर के और दूसरों को तकलीफ पहुंचा कर. अगर आप कोई भी distructive कार्य कर रहे हैं , अपने आप को उदास बनाये हुए हैं और अपने जीवन से निराश हैं तो आप स्वयं से प्रेम नहीं करते. जो व्यक्ति अपने आप से प्रेम नहीं करता वो दूसरों को तो प्रेम दे ही नहीं सकता क्यों कि किसी भी भाव को जब तक आप अपने ऊपर अजमा कर नहीं देखेंगे , उसका स्वाद खुद नहीं चखेंगे तब तक दूसरों के सामने उसे बेहतर बना कर कैसे पेश करेंगे. स्वयं से प्रेम करने का अर्थ ‘मैं ’ से नहीं है बल्कि इसका अर्थ है अपनी अच्छाइयों को पहचान कर उसे बहार निकलना और सही अर्थ में अपने आप को grow करना. मनोचिकित्सा में भी अपने जीवन से निराश और depressed patients के उपचार के लिए उन्हें अपने जीवन का उद्देश्य ढूँढ़ने के लिए अर्थहीनता को दूर करने के लिए कहा जाता है. ज़रा सोचिये कि वो कौन सी मनःस्थिति होती होगी जिसमें मनुष्य आत्म हत्या करने कि ठान लेता है? ऐसी स्थिति केवल और केवल तभी उत्पन्न होती है जब मनुष्य का स्वयं से कोई लगाव नहीं रह जाता. वह किसी वजह से अपने आप से घृणा करने लगता है और अपने आप को दंड देता है. तो सोचिये! कि अपने आप से प्रेम करना कितना ज़रूरी है क्यों कि जिस दिन आप स्वयं से प्रेम करना छोड़ देंगे उस दिन आपके जीवन का अस्तित्व भी नहीं रहेगा क्यों कि ‘it is impossible that one should love god but not love oneself’. क्यों कि अपने जीवन की शुरुआत भी आप से ही है और अंत भी आप से. इसलिए ईश्वर से हमेशा प्रार्थना करनी चाहिए कि वो हमें ऐसे कार्य करने की शक्ति दे जिस से हम स्वयं का आदर कर पाएं. कहा भी गया है कि………
“हमको मन की शक्ति देना मन विजय करें, दूसरों के जय से पहले खुद को जय करें.”
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Office के टॉप –टेन English Jargons............



Office के टॉप–टेन English Jargons 


यदि आप भी उन करोड़ों लोगों कि तरह हैं, जो किसी office में काम करते हैं तो फिर ज़रूर आपका सामना भी कुछ खतरनाक से sound करने वाले अंग्रजी के sentences, phrases या words से होता होगा. और यदि आप इस भीड़ का हिस्सा नहीं है तो भी संभव है की आपने इन terms को कहीं पढ़ा या सुना होगा. आज हम ऐसे ही कुछ terms के बारे में बात कर रहे हैं. तो चलिए देखते हैं Top-Ten English Jargons Used At Work Places list:

 1. KRA :

यह एक ऐसा word है जो आपको अक्सर किसी boss के मुंह से टपकता दिखाई दे जायेगा- “तुझे अपना KRA याद है न ?”.KRA का मतलब होता है Key Result Areas. यानि वो ज़रूरी लक्ष्य जिन्हें company में बने रहने के लिए आपको achieve करना ही करना है. Manager लोग अक्सर इसी का धौंस दे के हम भोले-भाले प्राणियों कि जिंदगी को एक  जंग में बदल देते हैं. और तब अनिल कपूर के उस गाने का असल मतलब समझ में आता है कि –“ जिंदगी हर कदम एक नयी जंग है…”
KRA का PIP के साथ चोली-दामन का साथ होता है. जो प्राणी KRA नहीं achieve कर पाता उसे PIP में डाल दिया जाता है .वैसे तो PIP का अर्थ Performance Improvement Plan होता है, पर इसका असली  मतलब होता है कि बेटा अब तेरा खेल खत्म …दूसरी नौकरी खोजना शुर कर

2.Monday Morning Blues : 

यह एक ऐसा phenomenon है जिसमे  weekends  पर  छुट्टी मनाने के बाद Monday  को office जाने का ज़रा भी मन नहीं करता. दिल पे एक बोझ सा लगता है कि आज फिर office जाना पड़ेगा. वैसे ये आमतौर पे सभी employees के साथ होता है पर यह Sales या target related  jobs  जैसे कि Insurance Sales Manger, Link-Builder, आदि में ये कुछ ज्यादा ही पाया जाता है. ऐसी जगहों पे Bosses  Monday को एक युद्ध कि तरह देखते हैं. इस दिन ले लिए उनके पास कुछ खास line पहले से तैयार होती हैं. For example:
“ आज बड़ा करना है”    “ आज Mega Monday है”    “आज महा submission day है” इत्यादि
काम करने वालों कि एक और प्रजाति होती है, जो प्रायः लुप्त होने कि कगार पे है . ये कुछ ऐसे महानुभाव होते हैं जो Monday के आने का इन्तेज़ार करते हैं. दुनिया इन्हें workaholic कहती है .शायद ऐसे ही लोग CEO, MD वगैरह बनते हैं. खैर अपने को क्या!!!

3. Thanks God It’s Friday:

ये “Monday Morning Blues”का ठीक उल्टा है. जिन जगहों पे Saturday/Sunday off  होता है, वहाँ Friday का दिन जीवन में एक नया रोमांच ले आता है….कि बस अब आज़ादी दूर नहीं है….ज्यादातर वक्त तो बार-बार घड़ी देखने में ही निकल जाता है…बस अब कुछ ही घंटे बचे हैं …. लेकिन यहाँ भी वो दूसरी वाली प्रजाति खुश होने कि बजाय दुखी होने लगती है….खैर छोडिये उनकी बातें…एक दिन भगवान उन्हें उनके कर्मो कि सजा देगा.

4. There are no free lunches :

इस phrase का सीधा-साधा मतलब है कि “मुफ्त में कुछ नहीं मिलता” हर चीज कि कीमत होती है, यदि वह आपसे directly नहीं charge कि जा रही है तो ज़रूर किसी न किसी और रूप में आपसे वह charge कि जा रही होगी.काश! free lunches होते तो …ये पेट पापी ना बनता

5. Blah-Blah 

“ब्ला-ब्ला” को आप Hindi  के “वगैरह-वगैरह” से compare कर सकते हैं. Generally इसे किसी boring conversation या writing के बारे में बताने के लिए किया जाता है . जैसे कि : The chief guest started his speech,  and he went on ..blah-blah-blah…”  वैसे ये एक बहुत common term  है और सिर्फ office तक सिमित नहीं है.कई बार इसका नाजायज फायदा उठाते हुए जब लोगों को कुछ नहीं समझ आता है की अब क्या बोलें तो वो blah-blah-blah करने लगते हैं.ठीक उसी तरह जैसे हम लोग answer  देते समय जब कोई और example नहीं समझ आता तो etc लिख देते हैं.

6.Think Out of the box : 

इस term  का मतलब है की कुछ अलग सोचना , जो पहले न सोचा गया हो और जो discussion को एक नयी दिशा दे सके. इसे आप creative या smart thinking भी कह सकते हैं. ये कहने में जितना आसान है करने में उतना ही कठिन है. किसी भी topic की पहले से ही इतनी चीर-फाड़ हो चुकी होती है कि अब और कुछ नया निकाल पाना वाकई बहुत challenging होता है. लेकिन boss को impress करने के चक्कर में लोग out of the box कि जगह above the head idea दे बैठते हैं जो boss के भी सिर के ऊपर से निकल जाती है. पर जब sameidea बॉस देता है तो ये सच-मुच out of the box idea कहलाती है और चारो तरफ से वाह-वाह की आवाजें आती हैं. क्या करियेगा …यही दुनिया है!

7. ParadigmShift :

इस term का अर्थ होता है कि किसी चीज  पर सोचने के तरीके मैं एक भारी बदलाव आना . For example
“Because of FaceBook there has been a paradigm shift in the way people prefer to socialize.”
ज्यादातर जब कोई बड़ा अधिकारी भाषड़ देता है तो उसके मुंह से “Paradigm Shift” ज़रूर उच्चारित होता है.और ऐसा कुछ बोलने के बाद अधिकारी आम जनता कि नज़र में देखता है कि ….भईया लोग impress हो रहे हैं ना!!
 8.Let’s Discuss it  offline :
Meetings के दौरान यह line अक्सर सुनाई दे जाती है. इसका मतलब होता है कि किसी बात को बाद में informally discuss करना .चूँकि meetings में कई लोग involve होते हैं, इसलिए यदि कोई ऐसी बात होती है जो पूरे group के लिए important नहीं होती है तो उसे मीटिंग के बाद offline discuss कर के पूरा किया जा सकता है. वैसे कई बार जब बॉस को किसी question से परेशानी होती है तो वो सबके सामने शर्मिंदा होने कि बजाय उसे offline discuss करने में ही अपनी भलाई समझता है. और बड़े style से कहता है –“Ok, let’s discuss it offline”…और उस topic कि वहीँ मौत हो जाती है.

9. White paper :

 White Paper एक तरह का document या article होता है ,जो किसी company का किसी particular मुद्दे पर क्या stand है ,बताता है. यह document बहुत ज्यादा detailed नहीं होता है; सारी चीजें संक्षेप में ही बताई जाती हैं. आमतौर पर इसे कोई experienced professional ही तैयार करता है.
अगर आप सोच रहे हैं कि चलो कम से कम इसमें तो मेरे फंसने वाली कोई बात नहीं है, तो आप गलत हैं.जब आपके Boss के सिर पर उसका Boss श्वेत पत्र बनाने कि जिम्मेदारी डालता है, तब बड़ी सफाई से आपको ये काम delegate कर दिया जाता है…और इसे इतना simple काम बताया जाता है मानो white paper ना बनाना हो white wash करना हो.गुस्सा तो तब लगता है जब white paper  बनाने के बाद अपने नाम के जगह Boss का नाम लिखा दिखता है.और मजबूरी में Boss को बधाई भी देनी पड़ती है… “Really Sir…बहुत बढियां है 

10.He is on Bench :

यह IT industry का इजात किया हुआ term है. इसका मतलब होता है कि बंदे के पास अभी कोई project नहीं है और वो वेल्ला/खाली है.जी हाँ IT  companies में किसी एक वक्त पर हज़ारों लोग bench पे हो सकते हैं. दर-असल कम्पनियाँ future projects की expectation के हिसाब से पहले से ही लोगों को recruit कर लेती है, और उन्हें training वगैरह देती रहती है. लेकिन यदि आप एक-दो महीने से ज्यादा bench पे रहते हैं तो बाकी IT समाज आपको धेय दृष्टि से देखने लगता है,इसलिए ऐसे लोग थोड़ा कटने लगते हैं और आम रास्तों की बजाय गुमनाम गलियों से गुजरने लगते हैं.पर यहाँ भी एक और प्रजाति होती है जो इसी bench से चिपक कर रहना चाहती हैं, दुनिया ऐसे लोगों को जोंक कह के पुकारती है , जो for a change; employer का खून चूसते रहते हैं. चलो कोई तो है बदला लेने के लिए.
जाते-जाते एक बात कहना चाहूँगा. इस Post में Boss प्रजाति का काफी मज़ाक उड़ाया गया है;लेकिन मैं समझता हूँ की इस बात से किसी को नाराज़ होने की ज़रूरत नहीं है क्योंकि Boss भी कभी sub-ordinate था और sub-ordiante भी कभी Boss  बनेगा ठीक वैसे ही जैसे सास भी कभी बहु थी और बहु भी कभी सास बनेगी. हाँ, पर याद रखिये ये बात जोंक प्रजाति पर लागु नहीं होती है.  
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Life Insurance लेने से पहले जाने 10 महत्वपूर्ण बातें,,,,,,,,,,,

Life Insurance

Tips for buying Life Insurance Policy in Hindi

Life Insurance लेने से पहले जाने 10 महत्वपूर्ण बातें  

कोई भी Financial Planning बिना जीवन बीमा पोलिसी  के complete नहीं हो सकती. तो यदि आप भी अपनी Financial Planning कर रहे हैं या भविष्य में करेंगे तो Life Insurance के बारे में कुछ महत्त्वपूर्ण बातें जान लेना उचित होगा. ये बातें मैं आपको अपने experience की basis पे बता रहा हूँ ,HCL Technologies join करने से पहले  मैंने दो साल तक बतौर  Manager  एक Private Life Insurance Company  में काम किया है, इसलिए आप इन बातों पे पूरा भरोसा कर सकते हैं.
आज बाज़ार में बीस से ज्यादा Life Insurance कंपनियां मौजूद हैं. विकल्पों की कोई कमी नहीं है. कोई भी   T V  Channel लगाइए कोई न कोई Insurance Company  का प्रचार दिख ही जायेगा. कोई Children Plans बेच रहा है ,तो कोई Pension Plan  के लिए लुभा रहा है. ऐसे में यदि आप confuse  होते हैं की कौन सा plan  लें तो इसमें आपकी कोई गलती नहीं है.किस आदमी के लिए कौन सा प्लान सही है ये कई बातों पे निर्भर करता है. जैसे की वो life की किस  stage  पे है, उसकी जिम्मेदारियां क्या-क्या हैं? एक पच्चीस साल के नवयुवक और एक चालीस साल के व्यक्ति की ज़रूरतें अलग-अलग होंगी और उनके उद्देश्य भी अलग-अलग होंगे. पर कुछ बातें ऐसी हैं जो किसी भी life insurance policy को लेने में ध्यान में रखनी चाहिए. आज मैं  ऐसी ही कुछ बातें आपसे share  करूँगा:
पहले जानिये कि आपके पास कितने का Life Insurance होना चाहिए
यहाँ “कितने”  से मेरा मतलब Premium से नहीं बल्कि बीमा राशि या Sum Assured से है.ये वो धन है जो व्यक्ति की मृत्यु पर उसके परिवार वालों को मिलता है.
Thumb Rule says की एक सामान्य व्यक्ति के पास अपनी सालाना कमाई का 10 – 12 गुना जीवन बीमा होना ही चाहिए. For Example:  यदि आपकी सालाना कमाई 5 lakhs है तो आपके पास 50 – 60 लाख का Life Insurance  होना चाहिए. इसके पीछे का logic ये है की यदि व्यक्ति की मृत्यु होती है तो उसके परिवार को एक मुश्त इतना पैसा मिल जाये की यदि उसे कहीं सुरक्षित जमा करा दिया जाये तो उसका interest व्यक्ति की सालाना कमाई के आस-पास हो और परिवार पे कोई आर्थिक संकट ना आ सके.
इतने amount  का insurance लेना कोई बड़ी बात नहीं है. आप चाहें तो किसी अच्छी कंपनी का Term Plan  ले सकते हैं. मेरे एक 28 वर्षीय मित्र  ने अभी हाल ही में Kotak Mahindra Life Insurance Co. से Rs.6700 रु में Rs.50 लाख का बीमा लिया है.
यदि आपके पास इस calculation  के हिसाब से insurance नहीं है तो आप सबसे पहले इसकी व्यवस्था करें और उसके बाद ही किसी और तरह के निवेश के बारे में सोचें.मैंने कई सेठों को सालाना लाखों रुपये प्रीमियम भरते देखा है और अगर उनकी बीमा राशि कि बात कि जाये तो वो 10 लाख भी नहीं होती.इसे बेवकूफी ही तो कहेंगे.
कम उम्र में लें जीवन बीमा :
जैसे जैसे उम्र बढती है वैसे-वैसे उसी बीमा राशि के लिए कम्पनियाँ ज्यादा premium charge करती हैं. तो बेहतर यही होगा कि आप कम उम्र में ही Life Insurance ले लें. ये ज़ाहिर सी बात है कि शुरू में आदमी कि income कुछ कम होती है इसलिएआप अपने budget के हिसाब से policy  लें और जैसे जैसे  income  बढे और नयी policy ले के अपना Life Insurance Cover बढ़ाएं.
Life Insurance को किसी उद्देश्य से जोड़कर देखें:
जब किसी policy के साथ आप कोई उद्देश्य जोड़ देते हैं तो वो एक कागज के टुकड़े से बढ़कर हो जाती है. ऐसे में इस policy  के lapse होने के chances  कम हो जाते हैं…आपके पास उसे  regularly  चलाने  की एक वजह होती है.उद्देश्य होने से आप बेकार के plans  समझने में अपना और advisor  का वक्त भी जाया नहीं करते हैं और सही policy के बारे में ही discuss  करते हैं.
तो ज़रूरी है की आप अपने उद्देश्य को जानिए और उसके हिसाब से  plan  को चुनिए. आपका उद्देश्य अपने  retirement के लिए पैसे जुटाने का हो सकता है, बच्चो की higher studies का हो सकता है या कुछ ओर पर अगर आप  Tax Saving को अपना उद्देश्य बना रहे हैं तो ये  कोई उद्देश्य नहीं हुआ , वो तो बस एक added advantage है  Life Insurance  लेने का.
Unit Linked Insurance Plans हो सकते हैं  एक अच्छा विकल्प :
यदि आप अपने पैसों को ज्यादा दिनों के लिए ( Minimum 5 Years) निवेश करना चाहते हैं, उस पैसे पर Tax Benefit चाहते हैं, Life Insurance Cover चाहते हैं और साथ ही साथ एक अच्छा return भी चाहते हैं तो ULIP एक बहुत ही अच्छा विकल्प है.  खास तौर से 1 September 2010  के बाद से ऐसी policies के charge , IRDA ने बहुत कम कर दिए हैं और इस वजह से ये customers  के लिए एक बहुत ही अच्छा विकल्प बन गया है.
इन policies  को लेने में बस एक बात का ख्याल ज़रूर रखिये, इन्हें Monthly Mode में ही खरीदिए, क्योंकि ये पोलिसियां share-market  से सम्बंधित होती हैं. और monthly mode में प्रीमियम अदा करने से आपको घाटा होने का चांस बहुत घट जाता है. लंबी अवधी तक इस पोलिसी को चलने पर आप 15-20% का return expect कर सकते हैं.
अब यदि आपको  Tax बचाने के चक्कर में annual mode में ही policy लेनी पड़ रही है तो भी आप life insurance company से request कर सकते हैं कि आपके पैसे को monthly mode में ही invest किया जाये.Generally, कुछ policies में ये option मौजूद होता है,आप उन्ही में से एक को चुन सकते हैं.
ULIP में Funds के भी कई सारे विकल्प मौजूद होते हैं, Fund का चुनाव आप advisor पे न छोड़े, बल्कि किसी जानकार व्यक्ति से सलाह कर के ही अपनी ज़रूरत के हिसाब से सही Fund select करें. आपके पास बीच-बीच में अपने funds  बदलने कि सुविधा भी होती है, इसका लाभ ज़रूर उठाएं.
सही policy चुनने के लिए websites का प्रयोग करें :
ऐसी websites पे जाकर आप सभी कंपनियों के plans compare कर सकते हैं और अपने लिए best option चुन सकते हैं. ये काम आप ज़रूर करें क्योंकि कोई भी advisor बस आपको अपने product कि विशेषताएं बताएगा और उसे और सबसे अच्छा बताने कि कोशिस करेगा पर इन sites पर आपको सब मालोम पड़ जायेगा.
आप इसे try  कर सकते हैं:http://www.policybazaar.com/
Policy खरीदने के लिए Internet का इस्तेमाल करें :
ज्यादातर लोग life insurance किसी agent या advisor के माध्यम से लेते हैं पर यदि आप चाहें तो Internet  के माध्यम से भी policy  खरीद सकते हैं. आप किसी भी कंपनी कि वेबसाइट पे जाकर इस सुविधा का लाभ उठा सकते हैं. ऐसा करने से आपका प्रीमियम कुछ कम हो जायेगा, क्योंकि अब कंपनी को advisor को कोई commission  नहीं देना पड़ेगा. पर यदि आप किसी advisor  से सलाह ले रहे हैं तो कृपया उसी से  policy  खरीदें.और इस बात का ध्यान रखें कि premium cheque के माध्यम से ही pay  करें और रशीद लेना कभी न भूलें.
बीमा कंपनी को सही जानकार ही दें :
Life Insurance का एक principle होता है , “Principle of Utmost Good Faith”जिसके मुताबिक कंपनी और ग्राहक दोनों को ही एक-दुसरे को सही जानकारी देनी होती है. For Example : यदि किसी को diabetes है और वो application form में इस बात को नहीं बताता है और कुछ ही वर्षों में उसकी मृत्यु diabetes  कि वजह से हो जाती  है तो उसके परिवार वालों को बीमा राशि नहीं मिलेगी. इसलिए ज़रोरी है कि आप life insurance company को सही जानकारी दें. बेहतर होगा कि आप इत्मिनान से बैठकर खुद अपने सामने ही पूरा form भरें या भरवाएं. और उसकी photocopy अपने पास रखें.
लुभाने वायदों पे न जायें :
यदि कोई इस तरह का वादा करता है कि वो तीन साल में आपके पैसे दुगुने कर देगा तो उससे कभी policy मत लीजिए. IRDA के नियम के हिसाब से कोई ही life insurance company आपको 10%  से ज्यादा के हिसाब से return नहीं दिखा सकती, यदि कोई आपको भ्रमित कर रहा है तो सावधान हो जाइये . ये हो सकता है कि कंपनी ने पहले कभी abnormal growth दी हो पर ऐसा हमेशा होगा इस बात कि कोई गारंटी नहीं है.
Free Look Period का लाभ उठायें :
आप policy  document प्राप्त करने के 15 दिन के अंदर अपनी policy वापस कर सकते हैं. तो यदि आपने गलती से कोई policy ले ली हो तो भी कोई बात नहीं है आप उसे वापस करके अपने पैसे ले सकते हैं या फिर उसे किसी और प्लान में convert  करा सकते हैं.
Rider ज़रूर लगवाएं :
किसी भी policy  के साथ आप कुछ  additional coverage   या राइडर्स attach  करा सकते हैं. For Example :  Accident Death Benefit (ADB), Critical Illness (CI)rider. Rider लगवाने में बहुत कम खर्च आता है . आप एक लाख का ADB rider मात्र सौ रुपये extra  देके लगवा सकता हैं. जिससे किसी दुर्घटना में मृत्यु होने पर नोमिनी को बीमा राशि कि दुगुन राशि देय होगी. आमतौर पर advisor  इनके बारे में  बताते ही नहीं हैं इसलिए ज़रूरी है कि आप इनका ध्यान रखें.
दोस्तों अपने देश में  Life Insurance और हेलमेट के बीच में एक समानता है. दोनों ही इस वजह से नहीं लिए जाते जिसके लिए बने हैं ब्ल्की उसे लेने में  कुछ और ही स्वार्थ होता है. Life Insurance लिया जाता है  Tax Saving के लिए और हेलमेट लिया जाता है police के  जुर्माने  से बचने के लिए.इन दोनों की असली कीमत  भी तभी पता चलती है जब कोई दुखद घटना घट जाती है. तो यदि आपके पास इन दोनों में से कोई एक भी न हो तो इनकी असली कीमत पता चलने का इन्तेज़ार मत कीजिये, बस  जल्द से जल्द ले डालिए. धन्यवाद.
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ये दोस्त……और इनकी दोस्ती……!

 

 

 

 ये दोस्त……और  इनकी  दोस्ती……!

वो  जो  बचपन  की  अटखेलियों  में  दिन  रात  होते  हैं
जवानी  के  जोशो  उमंग  में  जिनके  जज़्बात  होते   हैं ,
 हर  मुश्किल  में  काँधों  पे  जिनके  हाँथ  होते  हैं ,
कोई   और  नहीं  बस  वो  दोस्त  हैं  हमारे
 जीवन  की  हर  राह  पर   जो  साथ  होते  हैं .
मानव एक  सामाजिक प्राणी है  और  सामाजिक  होने  का  अर्थ  है किसी   समाज का हिस्सा होना. हर व्यक्ति  की एक अलग  society होती  है  जो  उसके  अपने  relationship   पर  depend   करती  है .इसलिए  मानव  के लिए  संबंधों  का  बहुत  अधिक  महत्व   है  जिसके  सहारे  वो  अपना  सारा  जीवन व्यतीत   करता  है. . मानव  दो  तरह  के  संबंधों  से  जुड़ा  है  पहले   वो  जो  जन्म  से  ही    उसके साथ  होते  हैं औरदूसरे   वो  जिसे  वो अपनी  ख़ुशी  या  पसंद  से  बनाता  है.
आप   के  माता  -पिता  या  रिश्तेदार  कौन  होंगे ,आपके  स्कूल  के  principal कौन  होंगे, boss कौन  होंगे , colleagues कौन  होंगे  या  पड़ोसी  कौन  होंगे  ये  आप  decide नहीं  कर  सकते.हाँ !एक  ऐसा   सम्बन्ध  ज़रूर   है  जिसे  आप  अपनी  इच्छा  से  चुनते  और  जोड़ते  हैं  और  वो  है ’दोस्ती’. दोस्तहम  कई  लोगों  में  से कुछ  लोगों  को  ही  बनाते  हैं .
 कुछ  लोग  शायद  ये  नहीं  जानते  कि  भले  ही  friendship  एक  secondary relationship है  पर  फिर  भी वो life की   सबसे   important relationship है .इस  relation का  अगर  थोड़ा  सा  भी   हिस्सा  किसी  और   relation  में  मिला  दिया  जाये  तो  उस  रिश्ते  का  रूप  ही बदल  जाता  है .”My mom is my best friend“, “My life partner is my best friend” ये  कहते  हुए  भी  अच्छा  लगता  है  और  सुनते  हुए भी .किसी  बच्चे  को  अपने  माता -पिता ,किसी  student को  अपना teacher, किसी  employee को  अपना  boss या  किसी  व्यक्ति  को  अपना  life-partner तभी  अच्छा  लगता  है   जब    उनमें  एक अच्छा  दोस्त  दिखाई  देता  है.तो बिना  किसी  संदेह  के  दोस्ती  एक  ऐसा  relation  है  जिसे   हम जाने-अनजाने  बाकी सभी  relations में खोजने   कि  कोशिश  करते  हैं.
दोस्त  अक्सर  समानता , समीपता ,frequent  interaction या  common goals के  कारण  बन  जाते  हैं . जिन  लोगों  को  हम  अपने  समान  या  अपने  आस -पास  आसानी  से उपलब्ध  पाते  हैं  उनसे  हम  दोस्ती  कर  लेते  हैं . ये  relation किसी  जाति   को , धर्म  को  या  किसी  उम्र  को  नहीं   मानता .यही  अकेला  एक  ऐसा  रिश्ता  है  जो human relation को  show करता    है क्योंकि बाकी सभी संबंधों को हम इसलिए  निभाते  हैं क्यों कि वो हमारे साथ पहले से ही जुड़े हुए हैं या हमारे पास उन्हें निभाने के आलावा कोई option  नहीं होता.
 किसी relation को अगर आप कोई नाम नहीं दे सकें तो उसे दोस्ती का नाम आसानी से दिए जा सकता है. ये  give and take के  rule को  follow नहीं  करता , हाँ  अगरऐसी  किसी  relation  में  ऐसा  कोई  rule है तो  आपको  दोस्ती  का   सिर्फ  एक  भ्रम  है .
 आज     के  competitive world में  अक्सर   लोगों  को  अपने  परिवार  से  दूर    जाना  पड़ता  है  पर आपने  कभी  ध्यान  से  सोचा  है  कि उस  अकेलेपन  के  लम्बे  समय  को  रोमांचक  बनाकर  आसानी सेकाटने  में आपकी  मदद  कौन  करता  है ; कोई  और  नहीं  बस  आपके  दोस्त . इसमें  किसी  formality  या  किसी discipline कि  मांग   नहीं  होती .अपने  दोस्तों  से   अपने दिल  कि  बात  कहने  के लिए  आपको  किसी खास  समय  का  इंतज़ार  नहीं  करना  पड़ता .आप  ये  नहीं  सोचते  कि आपके  दोस्त  क्या   सोचेंगे . और  अगर  क्षण  भर  के  लिए  ये  विचार    आपके   मन  में  आता  भी  है तो आप  कहते  है  ’तो  क्या  हुआ  दोस्त  ही  तो  है  ज़रूर  समझ   जायेगा!!! ‘.
कहते  हैं  दुनियां  में  मंहगी से  महंगी  जगह  घर  बनाना  फिर  भी  आसान  है  पर  किसी  के  दिल मेंसच्ची  जगह  बनाना  बहुत  ही मुश्किल है . इसलिए  सच्चा   दोस्त  मिलना  उतना  आसन  भी  नहीं होता . अगर सोचें तो दोस्त  हमारे  सबसे  अच्छे  teachers  होते  हैं  क्योंकि  वो  हमें  अपने  आप  सेइमानदार  होना  सिखाते  हैं  हमें   उनके  सामने  कोई   ideal  role play करने  कि  ज़रुरत  नहीं  होती  है . जिन  लोगों  के  जीवन में  दोस्तों  कि  कमी  होती  है  वो  depression के   शिकार  भी  जल्दी  होते  हैं . एक  अच्छा  दोस्त  आपकी  व्यक्तित्व  को  भी  निखारता    है .
 ये  relation जितना  पुराना  होता  है  उतना  ही  गहरा  होता जाता  है.लेकिन  कई  बार  हम    सच्चे  दोस्त  और सिर्फ  दोस्त  में  अंतर नहीं कर  पाते .अगर  आप  हजारों  से  मिलते  हैं  तो वो  सारे  आपके  अच्छे  दोस्त  या  शुभचिंतक  नहीं हो  सकते .अच्छे  दोस्त  आपको  कभी  misguide  नहीं करते  और  मदद के लिए  हमेशा  तैयार  रहते  हैं . हाँ  अगर  आप  ग़लत  हैं  तो  आप  काविरोध  भी  करते  हैं  लेकिन  जीवन  के  किसी  भी  मोड़  पर  आप  पलट   के  देखें  तो  वो  हमेशा  आप के  लिए  खड़े  होंगे .
सोचिये  कि  उस  व्यक्ति  का  जीवन  भी  क्या  जीवन  है  जिसके कई रिश्तेदार  तो  हैं  पर कोई   दोस्त   नहीं  है .आप  अपनी  हर  छोटी – बड़ी  बात  उस  व्यक्ति   से  share  करते  हैं  जिसे  आप अपना  सबसे  अच्छा  दोस्त  समझते  हैं  फिर  चाहे  वो  आपके  parents  हों , आप  का  life-partner हो या  कोई  अन्य . दोस्ती   का  कोई   भी  रूप  हो सकता  है .
एक  बात  ज़रूर  याद रखिये  कि   इस  प्यारे  से  unconditional रिश्ते  को  भी   attention   कि   उतनी ही   ज़रुरत  होती    है जितनी कि किसी और रिश्ते को. इसे   लम्बे  समय   तक  चलाने  के  लिए empathy और प्यार  कि  भावना से  सींचना  पड़ता  है . तो  अगर  किसी  भी  रिश्ते  में  मिठास  लानी  हैतो  उसमें  दोस्ती   कि थोड़ी  से  चाश्नी  तो  डालनी  ही पड़ेगी !
मशहूर  शायर  नासिर  जी  ने  क्या  खूब  कहा  है
“आज  मुश्किल था  संभलना  ए  दोस्त,
तू  मुसीबत  में अजब  याद  आया ,
वो  तेरी  याद  थी ; अब  याद आया”
Dedicated to all my dear friends.
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क्यों होता है Emotional Atyachar ? बचने के कुछ tips......

Emotional Atyachaar

क्यों होता है Emotional Atyachar ? बचने के कुछ tips.

“Emotional Atyachar”  term की पैदाइश.  DEV-D के गाने “तौबा-तेरा जलवा..तौबा तेरा प्यार…तेरा emotional अत्याचार ..” के कोख से सन 2009 में हुई. बचपन से ही होनहार ये term बिना ज्यादा  समय गवाए बच्चे-बूढ़े  -जवान सबकी जुबान पे चढ गया.वैसे ऐसा नहीं है कि ये अचानक ही आसमान से टपक पड़ा है. इसके पूर्वज धोखा, फरेब, betrayal, आदि को हम सदियों से जानते हैं.एक बात ध्यान देने की ये है कि Emotional Atyachar तभी हो सकता है जब किन्ही दो लोगों की relationship में कम-से-कम एक serious और loyal हो.
अगर कुछ एक दशक पहले कि बात करें तो Emotional Atyachar बहुत ज्यादा देखने को नहीं मिलता था ..पर अब तो ये पान कि दूकान जितना आम हो गया है…. ये अक्सर आस-पड़ोस, गली-चौरहों, college की canteens और office के गलियारों में दिखाई दे जाता हैं …हो सकता है आपके साथ भी ये हो चुका हो …या आप किसी के साथ ये कर चुके हो..anything is possible.
खैर जो भी हो! मैं ये सोच रहा था कि आखिर अचानक इस अत्याचार में इतनी बढोत्तरी कहाँ से आ गयी…दो-तीन बातें मेरे दिमाग में आयीं….
पहली— अगर कोई चीज आसानी से मिल जाये तो इंसान उसकी कीमत नहीं समझता. 
 दस-बारह   साल पहले के प्रेमियों और आज कल के romeos में बहुत अंतर आ चुका है. पहले  किसी affair के जन्म लेने में उतना ही वक्त लगता था जितना कि बच्चे को पैदा होने में लगता है,..करीब नौ महीने. लड़का लड़की को देखता है….college में….office में…balcony में या फिर कहीं और….अब वो लड़की की गतिविधियों पे नज़र रखना शुरू करता है….वो कब घर से निकलती है…कहाँ जाती है…उसकी कौन सी सहेलियां हैं, उसका भाई.. भाई तो नहीं है…और कहीं उसका पहले से ही कोई चक्कर तो नहीं है…इतना सब homework करने के बाद ही लड़का आगे बढ़ता था….पर आज-कल तो कोई ज़रा सा भी अच्छा लगा तो बस facebook पे search किया थोड़ी line मारी ….ठीक रहा तो ठीक नहीं तो next…और आज नहीं  तो कल कोई न कोई  मिल ही जाता है…और हो जाता है affair शुरू.
तो पहले कि बात करें तो एक relationship develop करने में इतने पापड़ बेलने पड़ते थे की सिर्फ वही लोग हिम्मत करते थे जिन्हें वाकई में प्यार होता था ..पर आज कल mobile और internet ने ये सब कुछ इतना आसान बना दिया है कि हिम्मत करने जैसी कोई बात ही नहीं रही…. और इसका हर्जाना उन बेकसूरों को भुगतना पड़ता है जो सच-मुच किसी relationship को लेकर serious होते हैं…वो बेचारे समझते हैं कि उनका partner भी उतना ही serious है..पर अफ़सोस बहुत बार ऐसा नहीं होता है…
अब आप ही सोचिये नौ महीने में मिले प्यार के ज्यादा टिकाऊ होने के chances हैं या नौ घंटे में मिले love के ??
दूसरी — Value System  में बदलाव
अपने इस point को समझाने के लिए मैं एक latest example use करना चाहूँगा. क्या आपने- Band Baaza Baarat movie देखी है? मैं पिछले Saturday को ये movie देखी. इसमें hero और heroine जो अभी तक एक-दुसरे से प्यार .. भी नहीं करते हैं, बिना किसी prior motive के एक दुसरे के बहुत करीब आ जाते हैं..and finally they end up having sex with each other. अगर ये आठ-दस साल पुरानी मूवी होती तो क्या होता…शायद वो लोग guilty feel करते…पर
अभी क्या होता है…लड़का सोचता है कहीं ये लड़की अब उसके गले न पड़ जाये ..और लड़की सोचती है चलो अब इसी से प्यार और शादी कर लेंगे. इस movie के हिसाब से शादी से पहले sex कोई बड़ी बात नहीं रही, और sex और प्यार को अलग-अलग देखा जा रहा है..the hero had sex but is in no mood to marry…क्योंकि वो लड़की से प्यार नहीं करता!!!
ये एक बड़ा बदलाव है. मुझे लगता है जो लोग अपने beloved या spouse के आलावा किसी और से relationship रखते हैं वो कुछ ऐसा ही  logic देते होंगे कि, “भले मैं किस और के साथ relationship  में हूँ पर मैं प्यार तो उसी से करता हूँ.” दरअसल ऐसे लोग बस खुद को अपनी ही नज़र में गिरने से बचाने  के लिए ऐसा सोचते  हैं ..वो अच्छी तरह से जानते हैं कि ये गलत है….पर ….????
तो value-system में आया बदलाव भी कुछ हद्द तक जिम्मेदार है…जो चीजें पहले बहुत बड़ा पाप होती थीं अब वो महज़ एक भूल बनकर रह गयी हैं. और भूल तो सभी से होती है.!!!
तीसरी – Peer Pressure / दोस्तों का दबाव
अगर आपका boyfriend या girlfriend; (obviously depending on your sex) नहीं है तो आपको backward समझा जाता है….. “अरे!! क्या बात कर रही  है –तेरा  कोई boy-friend नहीं है”, मानो boy-friend न हो सांस कि नली हो कि इसके बिना मौत पक्की है. लेकिन क्या करियेगा जब तक आप अकेले हैं ये दोस्त-यार आपको घूरते रहेंगे  और और मजबूरन आपको जल्द से जल्द एक साथी ढूँढना पड़ेगा…इस जल्द्ब्जी में  दिल से करने वाला काम दिमाग से कर बैठेंगे…किसी cool guy या hot babe से relationship बना बैठेंगे. पर आपका दिल तो कुछ और ही तालाश करता रहेगा..और जिस दिन उसे वो मिली वो आपको Emotional Atyachar करने के लिए उकसाने लगेगा.
 कैसे बचें Emotional Atyachar से:
  •  किसी committed relationship में जाने से पहले खुद को अच्छा-खासा वक्त दें. ज्यादा chance है कि अगर लड़का/लड़की serious नहीं है तो उससे ज्यादा दिन इन्तज़ार नहीं होगा..और आपको खुद-बखुद पता चल जायेगा.
  • Relationship कि शुरुआत में अपने partner को test करें…may be ये आपको थोडा अटपटा लगे पर बाद में पछताने से अच्छा है कि पहले ही सावधानियां बरत ली जायें. अब test कैसे करें ये आप अपने best friend से ही पूछ लें तो अच्छा है..पर किसी common friend से पूछने कि गलती मत कीजियेगा. और एक बार अगर बंद/बंदी सही निकल जाए तो फालतू में उसपे शक भी ना कीजिये. By the way अगर test के इस खेल में आप पकडे जाएँ तो मेरा नाम बता दीजियेगा..कहियेगा सारा दोष इसी का है…इसी ने ये घटिया idea दिया था ;) .
  • अगर सब-कुछ ठीक-ठाक चलते चलते अचानक आपको ऐसा लगने लगे कि आपका partner cheat कर रहा है तो खुद से जानने कि कोशिश करें कि ऐसा आपको क्यों लग रहा है…आप थोडा alert हो जाइए अगर सच-मुच ऐसा हुआ तो कोई न कोई symptom दिख जायेगा..जैसे office से देर से आना , mobile का कुछ ज्यादा ही busy रहना,mail का password बदलना, etc …पर मैं एक बार फिर कहना चाहूँगा कि ज़बरदस्ती का शक कभी न कीजिये…कई बार अच्छी खासी relationship बेबुनियाद शक कि वज़ह से बर्वाद हो जाती हैं.
  • अगर ऐसी मजबूरी आ जाये कि आपको अपने partner को छोड़ना पड़े तो भी आप सही तरीके से बात-चीत करके अपनी relationship को end कीजिये..बहुत हद्द तक आप खुद को अपने partner पे Emotional Atyachar करने से बचा पायेंगे…और कम-से-कम अपनी नज़रों में कुछ बेहतर स्थिति में होंगे.
जाते-जाते मैं एक बात कहना चाहूँगा…अगर आप सच्ची खुशी और एक everlasting relationship चाहते हैं तो Emotional Atyachar  नहीं Emotional Satyachar कीजिये. पहले तो काफी सोच-समझ कर ही किसी relationship   में खुद को  commit कीजिये और अगर एक बार जो commit कर दिया तोउसे पूरी सच्चाई और इमानदारी से निभाइए. Relationship में छोटी-मोटी problems तो आएँगी ही आयेंगी लेकिन इसका solution  Emotional Atyachar नहीं  Emotional Satyacharहै. इस सत्याचार को अपना के देखिये जिंदगी खूबसूरत बन जायेगी.
मैं ये इसलिए कह पा रहा हूँ क्योंकि मैंने हमेशा ही इसको follow किया है and I must say I am very happy to do that. इसका सबसे बड़ा फायदा खुद को ही होता है.आप अच्छा feel करते हैं कि आपने कभी किसी को धोखा नहीं दिया. धोखा खा के शायद कोई इतना बुरा न feel करे जितना वो धोखादे के feel करेगा…तो फिर ऐसी feeling आने ही क्यों दी जाये..क्यों न Emotional Atyachar को छोड़ Emotional  Satyachar अपनाया जाये.
यदि आपके पास भी Emotional Atyachar से बचने के कुछ tips हों तो कृपया जनहित में अपने comments के द्वारा बताएं.Thanks.
Point to be noted:
मैंने इस article को mainly girlfriend/boyfriend relationship को ध्यान में रख के लिखा है. Married couples के लिए कुछ बाते तर्कसंगत हो सकती हैं पर मुख्यतः यह लेख unmarried लोगों को ध्यान में रख कर ही लिखा गया है.
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Friday, 11 November 2011

क्षमा करना क्यों है ज़रूरी?....

क्षमा करना क्यों है ज़रूरी ?

‘Be a human’ ये phrase आपने अपनी life में कितनी बार सुना होगा और बोला होगा, पर इसके गहरे अर्थ को समझने की कोशिश हम कितनी बार करते हैं. ‘Respect begets respect’ and ‘love begets love’ यानि ‘respect के बदले में respect और love के बदले में love ‘क्या हमेशा ऐसा ही हो ये ज़रूरी है? याद कीजिये अपने जीवन का कोई ऐसा पल जब आपने बिना ये सोचे किसी की मदद की हो कि बदले में मुझे क्या मिलेगा या इसकी मुझे क्या कीमत चुकानी पड़ेगी. ईश्वर ने इंसान को बहुतसारी अच्छाइयों और positive qualities से सजाया है.  उन अच्छाइयों में एक अच्छाई है परोपकारी व्यवहार या altruistic behaviour.  ये एक unselfish concern है दूसरों की सहायता करने का. हम अपनी life  में लोगों की मदद कई बार करते हैं पर सोचने वालीबात ये है कि ये मदद कितनी बार बदले में कुछ न पाने की  भावना से प्रेरित होती  है.  न चाहते हुए भी कहीं न कहीं हमारे मन में एक expectation याउम्मीद जन्म ले लेती है कि हमे भी इस उपकार  के बदले में ज़रूर कुछ मिलेगा, कुछ नहीं तोबदले में एक thank  you की  उम्मीद तो हो ही जाती है.
तो ऐसा कौन सा उपकार है जोइस तरह  की उम्मीद या भावना से परे है? ऐसा कौन सा उपकार है जो दूसरों के लिए तो अनमोल है पर मदद देने वाले के लिए बहुत ही आसान और सस्ता.  वो  उपकार है किसी को किसी की ग़लती के लिए क्षमा करना…forgive करना. किसी को किसी की भूल के लिए क्षमा करना और आत्मग्लानि से मुक्ति दिलाना एक बहुत बड़ा परोपकार है.  क्षमा  करने की  प्रक्रिया मेंक्षमा करने वाला क्षमा पाने वाले से कहीं अधिक सुख पाता  है.  अगर सोचा जाये तोछोटी से छोटी या बड़ी से बड़ी ग़लती को कभी भी past में जा कर संवारा नहीं जासकता , उसके लिए क्षमा से अधिक कुछ नहीं माँगा जा सकता है.  अगर आप किसी की भूल को माफ़ करते हैं  तो उस व्यक्ति की  सहायता तो करते ही हैं साथ ही साथ स्वयं की सहायता भी करते हैं.  क्षमा  करने  के  लिए व्यक्ति को अपनी ego  से ऊपर उठ करसोचना पड़ता है जो कि एक कठिन काम  है और  सिर्फ एक सहनशील व्यक्ति ही इसे कर सकता है.  कभी आपने इस बात पर ध्यान दिया है कि अपनी रोज़ की ज़िन्दगी में हम कितनो को क्षमा करते हैं और कितनो से क्षमा पाते  हैं. कितना आसान है किसी से एक शब्द sorry कह कर आगे निकल जाना और बदले में अपने आप ही ये सोच लेना कि उस व्यक्ति ने हमे माफ़ भी कर दिया होगा.  क्या होता अगर हमारे माता- पिता हमारी भूलों के लिए हमें क्षमा नहीं करते? क्या हो अगर ईश्वर  हमें  हमारे अपराधों के लिए क्षमा करना छोड़ दे . इसलिए अगर हम किसी को क्षमा नहीं कर सकते तो हम  ईश्वर से अपने लिए माफ़ी की उम्मीद कैसे कर सकते हैं.  किसी महान व्यक्ति ने कहा है कि  किसी को किसी की भूल के लिए माफ़ ना करना बिल्कुल ऐसा ही है जैसे ज़हर खुद पीना  औरउम्मीद करना कि उसका असर दूसरे पर हो.  सोचिये कि अगर क्षमा नाम का परोपकार इसदुनिया में ना हो तो  कोई किसी से कभी प्रेम ही नहीं कर पायेगा…love is nothing without forgiveness and forgiveness is nothing without love.
कोई भी परोपकार करने के लिए जो सबसे पहली और आवश्यक चीज़ आपके पास होनी चाहिए वो है आपकी ख़ुशी.  हर इन्सान को किसी भी काम को करने से पहले अपनी ख़ुशी पहले देखनी चाहिए.  सुनने में थोड़ा अजीब लगता है न कि अपनी ख़ुशी पहले कैसे रखें जबकि हमेशा  से ये ही सीखते आये हैं  कि अपनी ख़ुशी का sacrifice  करके भी दूसरों कीख़ुशी पहले देखनी चाहिए.  सवाल ये भी उठता है कि अगर अपनी ख़ुशी पहले देखेंगे  तो परोपकार कैसे करेंगे? दोनों एक दूसरे के बिल्कुल opposite हैं.  तो उत्तर ये है कि अगर आप किसी की  मदद बाहरी  प्रेरणा या extrinsic motivation की  वजह से कर रहे हैं तो वो परोपकार है ही नहीं,  परोपकार तो वो होता है जिसका स्रोत आंतरिक प्रेरणा या intrinsic motivation होता है.  शायद आप ये नहीं जानते कि आप दूसरों को ख़ुशी तबही दे पाएंगे जब आप स्वयं खुश होंगे.  Sacrifice करना एक अच्छी बात है लेकिन वहीँ जहाँ sacrifice करने से आपको ख़ुशी मिल रही हो.  अगर कोई अपनी ख़ुशी को बार- बारमार कर sacrifice करता है तो एक दिन वो frustration का रूप ले लेता है जिसके negative effects भी हो सकते हैं.  ये human  nature है कि अगर हम अपने जीवन से परेशान या दुखी हैं तो दूसरों के खुशहाल जीवन को देख कर हम सच्चे मन  से उसे कभी appreciate  नहीं कर सकते. एक हारा हुआ इंसान कभी भी किसी जीतने वाले इंसानको सच्चे मन से बधाई नहीं दे पाता इसके पीछे उसकी कोई दुर्भावना नहीं होती बल्किअपनी ही आत्मग्लानि होती है. इसलिए किसी का भी कल्याण करने की पहली सीढ़ी हैअपने मन की ख़ुशी और संतुष्टि  और क्षमा करनेकी प्रक्रिया में भी यही  नियम लागू होता है. एक प्रसन्न रहने वाला व्यक्ति दूसरों को अधिक देर तक अप्रसन्न नहीं देख सकता. ऐसा कहा जाता है कि जिसके पास जो होता है वही वो दूसरों को देता है. जो वस्तु आप के पास उपलब्ध ही नहीं वो आप किसी को कैसे  दे सकते है? आम के पेड़ से हमेशा आम ही प्राप्त करने की उम्मीद की जा सकती है किसी और फल की नहीं.  ये याद रखिये कि अगर आप अन्दर से positive हैं  और खुशहैं तो अपने आस- पास भी positivity ही फैलायेंगे.  “idiots neither forgive nor forget, naive forgets but not forgive but a kind person forgives but never forgets.” ” मूर्ख व्यक्ति ना क्षमा करते हैं न भूलते हैं , अनुभवहीन व्यक्ति भूल जाते हैं ,पर क्षमा नहीं करते , लेकिन एक दयालु व्यक्ति क्षमा कर देता है पर भूलता नहीं.”
इसलिए अगर अपनी रोज़ की ज़िन्दगी में आप लोगों  को क्षमा करते हैं तो ये आप  का अनजाने  में उनपर  किया  गया   सबसे  बड़ा  उपकार  होता  है  जिसकी  आपको  कुछ  भी  कीमत  नहीं चुकानी  पड़ती .
कहा भी गया  है -
‘to err is human and to forgive is divine’  
माफ़ करना अँधेरे कमरे  में रौशनी करने जैसा होता है,  जिसकी रौशनी में माफ़ी मांगने वाला और माफ़ करने वाला दोनों एक दूसरे को और करीब से जान पाते हैं. माफ़ करके आप किसी को एक मौका देते हैं अपनी अच्छाइयों को साबित करने का. सोचिये कि अगर द्रौपदी ने अपने अपमान के लिए दुर्र्योधन को  क्षमा कर दिया होता तो शायद  महाभारत के उस युद्ध में इतना नरसंहार न हुआ होता. क्यों कहा जाता है कि मरने वाले को हमेशा क्षमा कर देना चाहिए ? क्या सचमुच इसलिए कि उस इंसान को फिर कभी माफ़ी मांगने का मौका नहीं मिलेगा या इसलिए कि आपको फिर उसे  कभी माफ़ करने का  मौका न मिले?
तो अगर हम किसी ज़िन्दगी की सूखी ज़मीन पर माफ़ी की दो- चार बूंदों की बारिश कर पायें  तो हो सकता है कि उस  सूखी ज़मीन पर आशाओं, और मुस्कुराहटों के फूल खिल उठें.
तो ज़िन्दगी में रुठिये, मनाइए, शिकवे और मोहब्बत भी कीजिये पर सुनिए!!!!!!! ‘ज़रा सा माफ़ भी कीजिये’ !!!
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पहाड़ से ऊँचा आदमी – Mountain Man






   
                                        

पहाड़ से ऊँचा आदमी


आपने कई बार लोगों को यह कहते सुना होगा कि “अगर इंसान चाहे तो वह पहाड़ को भी हिला कर दिखा सकता है” .और आज हम आपको ऐसे ही व्यक्ति से रूबरू करा रहे हैं जिन्होंने अकेले दम पर सच-मुच पहाड़ को हिला कर दिखा दिया है.
 मैं बात कर रहा हूँ गया (Gaya) जिले के एक अति पिछड़े गांव गहलौर(Gahlaur) में रहनेवाले Dashrath Manjhi ( दशरथ मांझी) की। गहलौर एक ऐसी जगह है जहाँ पानी के लिए भी लोगों को तीन किलोमीटर पैदल चलना पड़ता था. वहीँ अपने परिवार के साथ एक छोटे से झोपड़े में रहने वाले
पेशे से मजदूर श्री  Dasrath Manjhi ने गहलौर पहाड़ को अकेले दम पर चीर कर 360 फीट लंबा और 30  फीट चौड़ा रास्ता बना दिया. इसकी वजह से गया जिले के अत्री और वजीरगंज ब्लाक के बीच कि दूरी 80 किलोमीटर से घट कर मात्र 3 किलोमीटर रह गयी. ज़ाहिर है इससे उनके गांव वालों को काफी सहूलियत हो गयी.

Dashrath Manjhi
और इस पहाड़ जैसे काम को करने के लिए उन्होंने किसी dynamite या मशीन  का इस्तेमाल नहीं किया, उन्होंने तो सिर्फ अपनी छेनी-हथौड़ी से ही ये कारनामा कर दिखाया. इस काम को करने के लिए उन्होंने ना जाने कितनी ही दिक्कतों का सामना किया, कभी लोग उन्हें पागल कहते तो कभी सनकी, यहाँ तक कि घर वालों ने भी शुरू में उनका काफी विरोध किया पर अपनी धुन के पक्के Dasrath Manjhi ने किसी की न सुनी और एक बार जो छेनी-हथौड़ी उठाई तो बाईस साल बाद ही उसे छोड़ा.जी हाँ सन 1960 जब वो 25 साल के भी नहीं थे, तबसे हाथ मेंछेनी-हथौड़ी लिये वे बाइस साल पहाड़ काटते रहे। रात-दिन,आंधी-पानी कीचिंता किये बिना Dashrath Manjhi नामुमकिन को मुमकिन करने में जुटे रहे. अंतत: पहाड़ को झुकना ही पड़ा. 22 साल (1960-1982) के अथक परिश्रम के बाद ही उनका यह कार्य पूर्ण हुआ. पर उन्हें हमेशा यह अफ़सोस रहा कि जिस पत्नी कि परेशानियों को देखकर उनके मन में यह काम करने का जज्बा आया अब वही उनके बनाये इस रस्ते पर चलने के लिए  जीवित नहीं थी.
दशरथ जी के इस कारनामे के बाद दुनिया उन्हें Mountain Cutter और  Mountain Man के नाम से भी जानने लगी. वैसे पहले भी रेल पटरी केसहारे गया से पैदल दिल्ली यात्रा कर जगजीवन राम औरतत्कालीन प्रधानमंत्रीइंदिरा गांधी से मिलनेका अद्भुत कार्य भी दशरथ मांझी ने किया था. पर पहाड़ चीरने के आश्चर्यजनक काम के बाद इन कामों का क्या महत्व रह जाता है?
हम यहां पर आपको दिखा रहे हैं हिंदी दैनिकहिंदुस्तान में छपादशरथ मांझीजी का interview.
Click on the image to enlarge it
News about Shri Dashrath Manjhi

We  appreciate Hindustan News Paper reporter Vijay Kumar  for covering this inspiring good news in Hindi.

 
सन 1934 में जन्मे श्री दशरथ मांझी का देहांत 18 अगस्त 2007 को कैंसर की बीमारी से लड़ते हुए दिल्ली के AIIMS अस्पताल में हुआ.इनका अंतिम संस्कार बिहार सरकार द्वारा राजकीय सम्मान के साथ किया गया. भले ही वो आज हमारे बीच न हों पर उनका यह अद्भुत कार्य आने वाली कई पीढ़ियों को प्रेरणा देता रहेगा .
क्या सन्देश देती है दशरथ मांझी कि ये मिसाल :
  • अगर इंसान चाहे तो सच-मुच पहाड़ हिला सकता है. वह कोई भी बड़ा से बड़ा असंभव दिखने वाला काम कर सकता है.
  • सफलता पाने के लिए ज़रूरी है की हम अपने प्रयास में निरंतर जुटे रहे . बहुत से लोग कभी इस बात को नहीं जान पाते हैं कि जब उन्होंने अपने प्रयास छोड़े तो वह सफलता के कितने करीब थे.
  • सफल होने के लिए संयम बहुत ज़रूरी है. जिंदगी के बाईस साल तक कठोर मेहनत करने के बाद फल मिला दशरथ जी को.
  • कौन कहता है कि “अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता” …. फोड़ सकता है.
  • निश्चल मन से समाज के लिए काम करने वाले कर्मयोगी अवश्य सफल होते हैं और ऐसे व्यक्ति ही इश्वर के सबसे करीब होते हैं.
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Thursday, 10 November 2011

आप भी हैं Intelligent !!!!!!!

Dear Readers,
आपने Mrs. Shikha Mishraद्वारा लिखा हुआ article “ अधूरापन ज़रूरी है जीने के लिये….” तो पढ़ा ही होगा. इस article की importance और popularity का अंदाज़ा आप इसी बात से लगा सकते हैं की 15  दिन के अंदर यह AchchiKhabar.Com  का सबसे ज्यादा पढ़ा जाने वाला  article बन गया. और आज उन्ही के द्वारा लिखा हुआ एक  और नायाब Hindi Article ,“आप भी हैं Intelligent!”आपके साथ  share  करने में मुझ काफ़ी खुशी हो रही है.Once again, thanks a lot Shikha.
आप भी हैं Intelligent !!!!!!!
 ”That person is very intelligent” यह वाक्य हम तब कहते हैं जब हम किसी कीप्रशंसा करते हैं. पर हम में से अधिकतर लोग बुद्धिमान उसी व्यक्ति को समझते हैं जोबहुत पढ़ा लिखा होता है. अपने academics में अच्छे marks लाता है और दी गयी किसी भी problem को तुरंत solve कर लेता है पर शायद ऐसा सोच कर हम बुद्धि के बहुत हीविस्तृत रूप को संकुचित कर देते है. माता- पिता कई बार इस बात को ले कर शर्मिंदाहोते हैं की उनका बच्चा कम अंक ले कर आया है और अपनी सारी ताकत उसे ये समझाने मेंलगा देते हैं की इस दुनिया में अगर कुछ करना है तो अच्छे marks लाओ जबकि शायद वे यहनहीं जानते की ऐसा करके वे अपने बच्चे के जीवन के एक ऐसे पेहलू को उभरने से रोकरहें हैं जो उसकी सफलता का असली कारण हो सकता है. एक ऐसा बच्चा जो किसी competitive exam को clear नहीं कर पाया पर अपने माता पिता की feelings को बहुत अच्छे से समझताहै और उनकी हर आज्ञा का पालन करता है तो क्या ऐसे बच्चे को आप intelligent लोगों की category में नहीं रखेंगे?क्या एक अच्छा गायक बुद्धिमान नहीं,सड़क पर गाड़ी ठीक करनेवाला mechanic या जूते बनाने वाला मोची बुद्धिमान नहीं  या stage पर dance करनेवाला dancer बुद्दिमान नहीं? क्या आप ये सारे काम कर सकतें हैं? शायद आप ये नहींजानते की intelligence भी कई type की होती है जैसे-
 1)  Linguistic Intelligence   – इसमें  language, vocabulary  या statements  से related  कार्यों की कुशलता होती है जैसे की writers में .
2) Logical -Mathematical  Intelligence – इसमें तर्क करने याअंकों से related  कुशलता होती है. जैसे की mathematicians या scientists में.
 3) Spatial Intelligence – इसमें figures को मानसिक रूप से change करने कीकुशलता होती है जैसे की pilots , painters  में.
 4) Body -Kinesthetic Intelligence – इसमें body movements से related कुशलताहोती है जैसे की gymnasts  या  dancers  में.
 5) Intrapersonal Intelligence – जिसमे अपने emotions को समझने और monitor करने की ability को रखा गया है.
6) Interpersonal Intelligence – इसमें दूसरे व्यक्तियों की need  तथा भावनाओंको समझने की कुशलता होती है.
 7) Naturalistic Intelligence - यह natural चीज़ों को समझने की ability से related है. जैसे zoologists,mountaineers etc.
 ये सोचना बिल्कुल  ही व्यर्थ होगा की जो व्यक्ति अपने academics में अच्छा कररहा है वो अपने भविष्य में भी अच्छा ही जीवन  व्यतीत करेगा. कई बार ऐसा भी देखा गयाहै की अपने professional life  में सफल  होने के बाद भी लोग अपने personal life में असफल  हो जाते हैं . बल्कि वो व्यक्ति जो पढ़ाई  में कहीं पीछे होता है अपनी personal life में बहुत खुशहाल हो सकता है और उसके साथ लोग ज्यादा enjoy  भी करतेहैं. ऐसे कई व्यक्ति हैं जिन्होंने अपने स्कूल के दिनों में बहुत अच्छे अंक प्राप्तनहीं किये पर आज पूरी दुनियां उनको जानती है क्यों की उन्होंने अपनी abilities कोपहचाना और अपने सपनों का पीछा करना नहीं छोड़ा. जैसे दुनियां केसर्वश्रेष्ठ क्रिकेटर Sachin Tendulkar और Microsoft founder, Bill Gates, जिन्होंने बहुत पहले ही अपनी पढ़ाई छोड़ दी थी ,महान वैज्ञानिक Edison  जिनकी माँ नेउन्हें स्कूल से इस लिए बीच में ही निकाल लिया क्यों की teachers  उन्हें slow learner कहते थे, Charles Darwin को कौन नहीं जानता,  जिनके अपने पिता और  teachers उन्हें एक बहुत ही average student consider करते थे  और भी  बहुत सारे प्रसिद्दलोग हैं जिन्होंने अपने जीवन में अपने grades या marks को importance ना देकर अपनी real ability और अपने dreams पर focus किया.
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Researches  से ये साबित हो चुका है की जीवन की सफलताओं में IQ ( Intelligence Quotient ) का योगदान सिर्फ 20 % है जबकि EQ  (Emotional Quotient ) का योगदान 80 % होता है. जिन व्यक्तियों में EQ अधिक होता है वे अपने emotions औरदूसरों के emotions को अच्छे से manage  कर पाते हैं और समझ पाते हैं.  ऐसे लोगअपनी personal life में सफल रहते हैं और जीवन की कई परेशानियों को बहुत ही आसानी सेसुलझा लेते हैं.
 आप कितने  intelligent   हैं ये कई बार आपका समाज भी तय करता है जिसमें आपरहते हैं. जैसे की  Western countries  में technological intelligence कोअधिक importance दिया जाता है पर  Eastern countries में Integral intelligence  ( जो सबके साथ अच्छे सम्बन्ध बनाये और  सबसे मिल के रहे) को importance दिया जाता है.
इस दुनिया में रहने वाले हर व्यक्ति को ईश्वर ने ऊपर बताई गयी किसी नकिसी intelligence से ज़रूर सुसज्जित किया है.  हर व्यक्ति में बुद्धि के येसभी पहलू  present  होते हैं पर कोई एक प्रकार अधिक उजागर होता है.इसलिए अपने आप को किसी से भी कम समझने की आवश्यकता नहीं है क्यों की यहदेखना भी एक रोमांच होगा की इन प्रकारों में से आपका सबसे उजागर पहलू कौन सा है.बस ज़रुरत है तो उसे पहचान कर निखारने की.  किसी भी एक प्रकार की बुद्धि  आप कोजीवन में सफल बनाने में उतनी ही कारगर होगी जितनी  की कोई दूसरे प्रकार की.
 तो हुए ना आप अन्य बुद्धिमानों में से एक बुद्धिमान”  
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